गुरुवार, 10 अगस्त 2017

चाँद को नभ में जब जब देखा......

चाँद को नभ में जब जब  देखा
     तेरा ही दीदार लिखा.....
मन को मन से बाँध लिया फिर
   दिल पे तेरा प्यार लिखा.......
चाँद को नभ में जब जब देखा..........

सजाया तुमको सपनो में भी
   तुझपे ही सृंगार लिखा,
    उतरकर तेरी साँसों में,
कलियों का तुझे बहार लिखा...
चाँद को नभ में जब जब देखा..........

बिठाकर  तुमको पलकों पर
अपने हृदय का द्वार लिखा
बनाकर तुझको अपना हमदम,
जीवन ये तुझपे निसार लिखा
चाँद को नभ में जब जब देखा..........

पाकर तुझको खुद को खोया,
  खोकर तुमको आँखे रोया,
    रूठे रूठे खुद से यूँ ही
तुझको अश्कों का धार लिखा...
चाँद को नभ में जब जब देखा..........

             🖋~   *राहुल कश्यप*

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